Description
‘हंस’ के विशेषांक अगस्त 2003 का यह पुस्तकाकार न केवल मुस्लिम समाज की गहरी पड़ताल करता है, बल्कि अल्पसंख्यक और बहुसंख्यक समुदायों के बीच संवाद की स्थिति भी पैदा करता है।ध्यान देने योग्य बात यह है कि भारत में लोकतंत्र किसी अल्पसंख्यक समुदाय के कराना ही नहीं है, बहुसंख्यक समुदाय को यह लगना चाहिए कि लोकतंत्र को बचाने, बढ़ाने में उसके जो प्रयास हैं उनमें अल्पसंख्यक पूरी तरह उनके साथ हैं।
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