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इस पुस्तक में ‘राजेन्द्र यादव हंस कथा सम्मान’ से सम्मानित कहानियाँ संकलित हैं। वर्ष 2013 में स्वयं राजेन्द्र यादव ने ‘हंस कथा सम्मान’ की शुरुआत की थी। पहला सम्मान किरण सिंह की कहानी ‘संझा’ को दिया गया था। उसी वर्ष अक्टूबर में राजेन्द्र जी के अचानक चले जाने के बाद इस सम्मान का नाम ‘राजेन्द्र यादव हंस कथा सम्मान’ कर दिया गया। अपनी अंतर्वस्तु को लेकर, गद्य की समझ को लेकर, भाषा को लेकर, शिल्पगत परिपक्वता और जटिलता को लेकर ये सारी कहानियाँ विशिष्ट हैं।
शोभा अक्षर, ‘हंस’ से दिसम्बर, 2022 से जुड़ी हैं। पत्रिका के सम्पादन सहयोग के साथ-साथ आप पर संस्थान के सोशल मीडिया कंटेंट का भी दायित्व है। सम्पादकीय विभाग से जुड़ी गतिविधियों का कार्य आप देखती हैं।
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प्रेमचंद की तरह राजेन्द्र यादव की भी इच्छा थी कि उनके बाद हंस का प्रकाशन बंद न हो, चलता रहे। संजय सहाय ने इस सिलसिले को निरंतरता दी है और वर्तमान में हंस उनके संपादन में पूर्ववत निकल रही है।
संजय सहाय लेखन की दुनिया में एक स्थापित एवं प्रतिष्ठित नाम है। साथ ही वे नाट्य निर्देशक और नाटककार भी हैं. उन्होंने रेनेसांस नाम से गया (बिहार) में सांस्कृतिक केंद्र की स्थापना की जिसमें लगातार उच्च स्तर के नाटक , फिल्म और अन्य कला विधियों के कार्यक्रम किए जाते हैं.
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