Description
भविष्य को अनुमान-सम्भव बनाने के लिए उसे इतनी ही छोटी-छोटी किश्तों में तोडना ज़रूरी है जितनी अतीत को वर्तमान में और वर्तमान को भविष्य में संक्रमित करती हुई हमें प्रत्यक्ष दिखाई दे। इसके आगे-पीछे जो होगा वह अनुमान से अधिक कल्पना होगी और वर्तमान को ही खींचकर तानकर अतीत और भविष्य में फैला रही होगी। यह पुस्तक उसी अतीत होती सदी और स्त्री के भविष्य का सन्दर्भ है। यह पुस्तक तीन खण्डों में अपने पाठकों के लिए उपलब्ध है।
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