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कविता साहित्य

वापसी

कभी कभी
चाह कर भी वापस लौटना मुश्किल होता है
वापसी का रास्ता
उतना सुगम नहीं रहता हर बार
बहुतेर
उतनी जगह नहीं होती वहां बची हुई
जहां वापस लौटने की चाह होती है मन को
कोई और भर चुका होता है
हमारी उपजाई रिक्ती को
स्नेह और प्रेम का आयतन
अपूरित नहीं रहता
ज्यादा देर तक
जरूरी नहीं
कि जिसके लिए
जिसके पास लौटा जाए
वह ठहरा ही हो
बाट जोहता ही हो
प्रायः नहीं ही होता ऐसा
मन यही सब गुन कर
चुप रह जाता है
छोड़ देता है
वापसी की संभावना टोहना ।