चलो कुछ दीये,
उन मुंडेरों पे रख आयें,
जहां अंधेरा आज भी है,
थोड़ी रोशनी ले जायें
जो दिल उदास हैं सदियों से,
क्यों ना उनसे खुशी बांट आयें।
ज़िद करें बस अपने घर की रोशनी के लिए,
अरे! हम इतने स्वार्थी ना हो जायें
क्या मिला है इक्ट्ठा करके,
चलो बांटे, खुशियां ले आयें
बाहर का अंधेरा तो लाज़मी है,
चलो मन का अंधेरा मिटायें
चलो कुछ दीये,
उन मुंडेरों पे रख आयें…
…….गौतम
चलो कुछ दीये,
उन मुंडेरों पे रख आयें,
जहां अंधेरा आज भी है,
थोड़ी रोशनी ले जायें
जो दिल उदास हैं सदियों से,
क्यों ना उनसे खुशी बांट आयें।
ज़िद करें बस अपने घर की रोशनी के लिए,
अरे! हम इतने स्वार्थी ना हो जायें
क्या मिला है इक्ट्ठा करके,
चलो बांटे, खुशियां ले आयें
बाहर का अंधेरा तो लाज़मी है,
चलो मन का अंधेरा मिटायें
चलो कुछ दीये,
उन मुंडेरों पे रख आयें…
…….गौतम