रेतघड़ी
हंस की सालाना संगोष्ठी ‘हंस’ पत्रिका द्वारा इफ्को के सहयोग से 38वें प्रेमचंद जयंती समारोह का आयोजन ऐवान-ए-ग़ालिब सभागार में
हंस की सालाना संगोष्ठी ‘हंस’ पत्रिका द्वारा इफ्को के सहयोग से 38वें प्रेमचंद जयंती समारोह का आयोजन ऐवान-ए-ग़ालिब सभागार में
प्रेमचंद जयंती समारोह- 2018 नई दिल्ली: के आईटीओ में स्थित ऐवान – ए – ग़ालिब सभागार में प्रेमचंद की 33वीं
ख़ामोशियों के स्वर ” टन-टन-टन-टनन…।” छुट्टी की घंटी बजते ही बच्चे
पत्ते पीले पड़ गए समय से समर में, ये बूढ़ा भी
सशक्तिकरण का बीजारोपण सरकारी बैंक में कार्यरत सुयश कुमार के स्थानंतरण
काफिर बच्ची काफ़िर लड़की पौ फटने वाली थी, पर अँधेरे ने
Ghazal बलजीत सिंह बेनाम ग़ज़ल जब मोहब्बत से भरे ख़त देखना
प्रेमचंद की तरह राजेन्द्र यादव की भी इच्छा थी कि उनके बाद हंस का प्रकाशन बंद न हो, चलता रहे। संजय सहाय ने इस सिलसिले को निरंतरता दी है और वर्तमान में हंस उनके संपादन में पूर्ववत निकल रही है।
संजय सहाय लेखन की दुनिया में एक स्थापित एवं प्रतिष्ठित नाम है। साथ ही वे नाट्य निर्देशक और नाटककार भी हैं. उन्होंने रेनेसांस नाम से गया (बिहार) में सांस्कृतिक केंद्र की स्थापना की जिसमें लगातार उच्च स्तर के नाटक , फिल्म और अन्य कला विधियों के कार्यक्रम किए जाते हैं.