प्रश्न-चिह्न
(1)
नारी तुम हो क्या,
महामाया या निर्भया ?
कामाख्या,
तो क्यों हो भोग्या ?
शब्दों की पहेली को
उसने यूँ देखा-
और पल्लू के कोने को
ऊँगली पे घुमाती चली गयी
(2)
हरेक पल्लू का कोना
आकृति बनाता है
प्रश्न – चिन्ह जैसा
जैसे पूछ रहा हो अनगिनत सवाल
उसके वज़ूद का
उसके भी सवाल का
उसके भी ख्याल का
जिसे उसने उंगलियों से लपेट-लपेट कर
हिलते सरो से
कोशिश की थी बनाने की
‘हाँ’