पत्ते पीले पड़ गए
समय से समर में, ये बूढ़ा भी हार गया आज…
पत्त्ते पीले पड़ गए इसके…
जब छोटा था मैं, ये भी मेरे जैसा ही था।
साथ बड़े हुए हम।
पर आज इसके सामने तिनके जैसा हूँ मैँ।
इतना विशाल होकर भी काँप रहा ये आज…
पत्ते पीले पड़ गए इसके…
इसने हर मौसम की मार झेली है।
अपने सौतेले भाई को मरते हुए भी देखा है इसने।
बस देख न सका ये अंत अपना..
पत्ते पीले पड़ गए इसके…
कभी सुनाता था अपनी मजबूती के किस्से मुझको।
आज मेरा ही सहारा ढूंढ रहा है।
पक्षी भी अनाथ कर चल दिए इसको।
दीमकों को अब ये किराया दे रहा है…
पत्ते पीले पड़ गए इसके…
लोग अपना चूल्हा तैयार कर रहे हैं।
आज बोली लगने वाली है इसके शरीर की।
शायद गोद लेना चाहते हैं इस अनाथ को।
पर क्या वो जानते नहीं…..
पत्ते पीले पड़ गए इसके….