चुनाव
राजनीति में हर तरह का नामकरण होता है. चुनाव चाहे सांसद का हो, विधानसभा के सदस्य का हो, नगर निगम या ग्राम पंचायत का हो हर तरफ इसकी व्याख्या अलग अलग प्रकार की है. बिहार में चुनाव नजदीक है और अब तो राज्य चुनाव आयोग ने भी साफ कह दिया है कि चुनाव सही वक़्त पर ही होंगे.
भारत की राजनीति में सबसे शक्तिशाली शब्द है “बाहुबली”. इसका स्थान प्रथम है. पैमाने अलग अलग हैं मगर शीर्ष पर यही काबिज है.
फिर आते है कद्दावर नेता, ये मिश्रित चरित्र होता है – बाहुबली और सभ्य का मिश्रण. बहुत आकर्षक प्रतिनिधित्व है ये. सम्मोहन की कला है इसमें.
फिर आते हैं पैसा फेको तमाशा देखो चरित्र. ये चरित्र चुनाव के वक्त रोयल स्टेग या ब्लेंडर्स प्राइड की सस्ती बॉटल बांट देते हैं और और जहां जहां बूथ होती है उसके अगल बगल वाले मोहल्ले में मटन बन जाता है. बस फिर क्या, दिलफेंक इंसान होते हैं भैया जी.
अब बारी है मर्यादा पुरषोत्तम अर्थात महिला सीट पर अपनी धर्मपत्नी को उतारने वाले। चुनाव के वक्त अपनी धर्मपत्नी के आगे पीछे ही रहते हैं. चेहरा उनकी पत्नी का होता है मगर वोट उनके मर्यादा पुरषोत्तम के नाम पर मिलता है. जीत हो भी जाती है तो सत्ता मर्यादा पुरषोत्तम ही संभालते हैं.
फिर आते हैं वोट कटवा अर्थात वो उम्मीदवार जो नामांकन के पहले दिन से ही कुर्सी का ख्वाब देख चूके होते हैं. बस सपने संजोने में लग जाते हैं. दिन भर बड़ी बड़ी बातें करेंगे, उसने ये नहीं किया वो नहीं किया जबकि सच्चाई ये होती है कि करना इन्हे भी नहीं है कुछ. प्रेमचंद की मशहूर पंक्ति है “यहां ईमानदार कौन जिसे बेईमानी का मौका ना मिला हो या वो जिसने ऐसा विवेक पैदा नहीं किया की बेईमानी कैसे की जाती है. वोट कटवे में एक बात बहुत ही अच्छी होती है. इनमे आत्मविश्वास कूट कूट कर भरा होता है. नामांकन इस तरह से करते हैं जैसे राजकुमार गद्दी संभालने निकला है. और तो और चुनाव परिणाम आने पर ये अपने वोट की संख्या नहीं देखते , ये अपने वोट का प्रतिशत देखते हैं. ये इनकी खास बात होती हैं. ऐसे लूटने वाले इन्हे भी लूटते हैं जम कर. मटन ये भी बनवाते हैं. खस्सी कटवाते हैं. मगर वोट इनके बस परिवार वाले ही देते हैं.
अंत में आते हैं जिताऊ उम्मीदवार. दरअसल ये कुछ नहीं करते हैं. बस मजा लेते हैं बैठकर. सारे उम्मीदवार की हरकत देखते हैं और चुनाव के दिन अपनी कार से निकल कर हर पोलिंग ऑफिस में थोड़ा बहुत पूरी सब्जी का पैसा देकर निकल लेते हैं. क्योंकि इन्हे पता है जीत किसकी है.