आज़ादी
क्यूँ नहीं उड़ सकते हम अकेले
जब भी जहाँ जाना चाहे
क्या कभी आएगा वो दिन
जब बिन सोचे हम उड़ पाये !
सोचते है हम आज़ाद हैं
सिर्फ मन का भ्रम है यह
फिर क्यूँ अँधेरा होते ही
भागते है अपने घोंसलो में !
क्यूँ उड़ना होता है
एक झुंड को साथ लेकर संग
कहाँ है आज़ादी
हमको कोई यह तो बतलाये !
कुछ तो ऐसा करो सब मिल कर
अकेले ही उड़ पाये
क्यूँ नहीं ऐसी सजा मिले
हर शिकारी रावण को
कि कोई रावण ही ना बन पाये
हमारे जंगल को स्वतंत्र कराओ
और हम को आज़ादी दिलवाओ !